कभी सांझ के पर्दे पर,
टांग दिया मैने एक मन,
उस में तुम हो, मैं हूं,
हैं और बहुत से रंग,

उडते सुग्गों की हरियाली,
तुम्हारे होने का एह्सास,
दिल में एक हवा का झोंका,
एक अन्छुए स्पर्श की प्यास,

उगते तारों की उबासी,
तुम्हारे आंचल पर वो फूल,
भीनी सी खुश्बू हवा में,
सपनीले सुरों की दस्तक,

अतीत के बक्से से निकली,
धूल सी खाती हुई,
यादों में खोई तुम्हारी,
मन के पर्दे पर वो शाम.

Comments

Anonymous said…
touching poem with lote of emotive substance.

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